मुलायम सिंह यादव से जुड़ा दूसरा संस्करण उस ज़माने का है जब वो देश के रक्षा मंत्री हुआ करते थे, हमारे तत्कालीन संपादक रजत शर्मा जी ने किसी रक्षा सौदे से जुड़ा कोई सवाल उनसे पूछने का मुझे सीधे निर्देश दिया था.. तब मोबाइल फ़ोन जैसी कोई सुविधा थी नहीं तो सीधे कैमरा यूनिट उठायी और सीधे पहुँच गया समाजवादी पार्टी के दफ़्तर …. वहाँ उस समय शायद जगजीवन नाम था उनका वही उनके खास थे जो प्रेस से डील करते थे तो मैंने जगजीवन से कहा कि एक बहुत महत्वपूर्ण मुद्दे पर एक छोटा सा इंटरव्यू करना है उस समय इतने न्यूज़ चैनल भी नहीं थे तो कहने पर इंटरव्यू मिल भी जाता था लेकिन मैं तब चौका जब जगजीवन ने बताया कि नेताजी बहुत बिज़ी हैं और इंटरव्यू के लिए उपलब्ध नहीं हैं, मुझे तब तक इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि मुलायम सिंह इस सवाल को टाल रहे हैं तो मैंने जगजीवन को धमकाया, देखो भाई आज इंटरव्यू नहीं मिला तो आगे से किसी प्रेस कांफ्रेंस की भी रिपोर्टिंग नहीं होगी, ANI को मना कर दूंगा और मैं आकर भी रिकॉर्ड नहीं करूंगा…
तभी मुलायम सिंह पार्टी दफ्तर से निकलने लगे, जगजीवन ने आगे बढकर उनके कान में कुछ फूंका और उन्होंने इशारे से हमें साथ आने को कहा, हम एस्कॉर्ट के पीछे पीछे गाडी लगाए चलते रहे, काफिला अमौसी हवाई अड्डे पर जाकर रुका, हमें तब तक पता नहीं हम जा कहां रहे, मैने दौडकर मुलायम सिंह जी को पकड़ा- 2 मिनट लगेगा यहीं कर लेते हैं दो सवाल पूछने हैं बस…
मुलायम सिंह जी ने मुझसे कहा- साथ चलो प्लेन पर इंटरव्यू दूंगा,
जाना कहां है ? मैने पूछा
इलाहाबाद एक कार्यक्रम है लेट हो रहा है..,
मरता क्या ना करता चढ गया, एयरफोर्स का VIP  रक्षा मंत्री का प्लेन था फिर भी जैसे ही उड़ा लगा दिमाग़ की सारी नसें फट गई मुझे तो प्लेन में मौजूद एयरफोर्स के कर्मचारियों ने कुछ चिंग्वम और चिकलेट्स खाने को दी, तब कुछ राहत मिली, खैर लौटते वक्त मुसायम सिंह जी ने विमान में ही इंटरव्यू दिया, वापस लोटते ३ बज रहे थे, लखनऊ एयरपोर्ट पर सहारा का विमान दिल्ली उड़ान भरने को तैयार खड़ा दिखाई दिया, मैने निराश होकर मुलायम सिंह से कहा सारी मेहनत बेकार चेप तो दिल्ली जा नहीं पाएगा…तुरंत आसमान से ही संपर्क साध कर टेप विमान में पहुंचाने की व्यवस्था हुई, इस तरह मेरा ये मुलायम सिंह जी का सबसे सख़्त इंटरव्यू रहा।