शनिवार, 15 मई 2010

मैं राजस्थान का शेखावत हूं......!!!

आज बीजेपी के एक युग का अंत हो गया, पूर्व उप राष्ट्रपति और राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके भैरों सिंह शेखावत का निधन हो गय़ा... आज पूरे दिन के बुलेटिन शेखावत जी को समर्पित रहे पूरे दिन बुलेटिन के दौरान मैं उन लम्हों को याद करता रहा जब मैं शेखावत जी से मिला था।
अपने पत्रकारिता के 15 साल के अनुभव में मेरा सामना कई खुर्राट नेताओं से हुआ शेखावत जी भी उनमें से एक रहे। बात 1996 की है उन दिनों मैंने जीटीवी में नौकरी करता था।
दिल्ली दफ्तर में नियुक्ति थी , लेकिन उन दिनों न्यूज चैनलों का नेटवर्क आजकल जैसा नहीं था इसलिए आसपास के राज्यों में भी मैं दिल्ली से ही स्टोरी कवर करने जाता था। राजस्थान मेरी पसंदीदा कर्मभूमि थी, वजह दिल्ली से नजदीकी दूसरे राजस्थान के शहरों की स्टोरी विजुअली बड़ी रिच होती थीं।
मैं दो चार स्टोरी आइडिया तलाशता और कूच कर जाता राजस्थान के शहरों की ओर, जन्माष्टमी का दिन था, मैं जयपुर पहुंचा पूरे दिन एक स्टोरी पर काम किया था - स्टोरी थी जयपुर शहर की एतिहासिक जेल को शिफ्ट करके वहां पर व्यावसायिक प्रतिष्ठान बनाने की- मैंने एतिहासिक इमारत वाला एंगल निकाला और दिनभर विजुअल इतिहासकारों और कांग्रेस नेताओं के इंटरव्यू किए, लेकिन अभी तो स्टोरी अधूरी थी सरकार की ओर से भी तो कोई बोलने वाला चाहिए था, रात के 11 बजे थे क्या करूं....पता नहीं कैसे हिम्मत हो गई, 11 बजे रात राज्य के मुख्यमंत्री भेरों सिंह शेखावत जी के घर के टेलीफोन की घंटी बजा दी। उधर से रौबीली आवाज में हैलो हुआ - मैंने कहा मैं जीटीवी से हूं शेखावत जी से बात करना चाहता हूं, अगर तकलीफ ना हो तो बात करा दें, उधर से आवाज आई बताइये बोल रहा हूं.....मैने कहा - मजाक मत कीजिए भैरों सिंह शेखावत जी से बात करा दीजिए, शेखावत जी बोले नहीं मजाक नहीं मैं भैरों सिंह शेखावत ही हूं, बताइये क्या काम है - मुझे विश्वास तो जरा भी नहीं था कि फोन पर दूसरी ओर शेखावत जी हैं लेकिन मैने बोलना शुरू कर दिया - मैंने कहा कि मैं दिल्ली से आया हूं, यहां की ऐतिहासिक इमारतों पर कुछ स्टोरी कर रहा हूं आपका इंटरव्यू चाहिए...
उधर से आवाज आई - नहीं भाई मैं रजत जी के लिए इंटरव्यू नहीं दे सकता
मैं चौंक गया - रजत जी को कोई मना कैसे कर सकता है
मैंने कहा- ऐसा क्यों
शेखावत जी बोले - रजत जी अपने प्रोग्राम में कहेंगे भैंरो सिंह शेखावत हाजिर हों एक मुजरिम की तरह बुलाएंगे मुझे ये मंजूर नहीं ... वो कई बार मुझे अपने प्रोग्राम के लिए बुला चुके हैं लेकिन मैं इसीलिए नहीं आता हूं
मैंने बड़ी विनम्रता से कहा - नहीं शेखावत जी, यहां कोई अदालत नहीं लगनी है बस एक दो विषयों पर
आपका वर्जन चाहिए। अगर बहुत व्यस्त ना हों तो
बोले- नहीं आप इतनी दूर से आए हैं आपको मना नहीं करूंगा, सुबह 10 बजे सेक्रेटियट आ जाइयेगा - डायरेक्टर इन्फोर्मेशन से संपर्क कर लीजिएगा। वहीं इंटरव्यू कर लेंगे नाश्ता भी साथ करेंगे।
दूसरे दिन सुबह मैं सेक्रेटियट पहुंचा, एक इन्फोर्मेशन आफिसर पहले से ही गेट पर रास्ता देख रहा था दिल्ली के नंबर की गाड़ी देखते ही लपक कर हमारे पास पहुंचा कहा जीटीवी से हैं
मैने कहा- जी
आइये डायरेक्टर साहब आपका इंतजार कर रहे हैं
तब मुझे भरोसा हुआ कि कल रात जिससे बात हुई वो सचमुच शेखावत जी थे
डायरेक्टर इन्फोर्मेशन के पास चाय पी और साढे दस बजे शेखावत जी के सामने साक्षात पहुंच गया
दुआ सलाम हुई...11 बजे इंटरव्यू के लिए सेटअप तैयार हो गया...तब तक मैने भी शेखावत जी के साथ नाश्ता किया जो थोड़ा तगड़ा हो गया, एक दिन पहले जन्माष्टमी के व्रत की भूख नाश्ते में ही मिटी ।
नाश्ते के दौरान शेखावत जी ने कहा कि मुझे लग नहीं रहा कि रात में तुम्ही से बात हुई थी अभी क्या उम्र है तुम्हारी....मैने उम्र तो नहीं बताई धीरे से बोला कलम के सिपाहियों को पहलवान होना जरूरी तो नहीं...जोर से हंसे बोले - अब यकीन हो गया तुम्ही थे
मूड अच्छा देखकर मैंने कहा कि सुबह 9 बजकर 59 मिनट तक मुझे भी नहीं लग रहा था कि आप से बात हुई, मैं सोच रहा था कि टेलिफोन ऑपरेटर ने हमें रात में बुद्धू बनाया , और आपके नाम पर बात की...
क्यों ?
मैने कहा- अरे किसी राज्य का मुख्यमंत्री कभी सीधे फोन उठाता है,
वो फिर जोर से हंसे
माहौल एकदम हल्का हो गया था...मेरा भी हौसला बढ़ गया था
सेट तैयार था
हम दोनों बैठे
रोल हुआ
मैने पहला सवाल ही पूरा जोर लगाकर उड़ेल दिया - शेखावत जी आप पर आरोप लग रहा है कि आप राज्य की सांस्कृतिक विरासत को मिटाने पर तुले हैं....मसलन जेल की ऐतिहासिक इमारत को शॉपिंग कॉम्पलेक्स बनाने जा रहे हैं।
मैं शेखावत जी का चेहरा देख रहा था सोच रहा था अच्छी बाइट मिलेगी....20 सेकेंड बीत गए वो मुझे घूरे जा रहे थे ...मैं सोच रहा था धीर गंभीर व्यक्ति थोड़ा सोच कर बोलते हैं .... 4 0 सेकेंड बीत गए
मैने टोका - शेखावत जी
शेखावत जी गरजे-
-" मैं यहां का शेखावत हूं मेरे ऊपर कोई आरोप नहीं लगाता "
मैं तो सन्न रह गया , यहां तो बात व्यक्तिगत होने लगी थी ...मेरी पहली ही बाउंसर पर राजनीति के माहिर ने स्वीप लगा दी थी
मैने तुरंत संभाला और अगली ही बॉल स्विंग करा दी कांग्रेस की ओर-
जी शेखावत जी , लेकिन कांग्रेस तो आपको पानी पी पी कर कोस रही है इस मामले में
तब जाकर कहीं शेखावत जी का रुख मेरी ओर से हटकर कांग्रेस की ओर हुआ
मुझे बाइट तो बहुत मजेदार मतलब हार्ड हिटिंग मिल गई थी लेकिन मन ही मन थोड़ा डर रहा था कि कहीं बॉस से कुछ शिकायत ना कर दें। फिर भी मैं थोड़ा संभलकर दनादन सवाल दागता गया और वो भी दनादन जवाब देते गए.... 10 मिनट में इंटरव्यू निपट गया
इंटरव्यू खत्म हुआ तो वो फिर पहले जैसे ही सामान्य हो गए...कोई मीटिंग थी जरूरी फिर भी उन्होने बैठकर अपने हाथ से हिदी में एक चिट्ठी लिखी रजत शर्मा के नाम, मैने सोचा जरूर मेरी शिकायत लिखी होगी, क्योंकि वो रजत जी के बहुत करीबियों में से हैं ये मुझे पता था। चलते समय उन्होने मुझसे कहा कि अगली बार आना तो हमारे मेहमान बनना...मैने कहा- देखते हैं, कोशिश करूंगा
खैर सब कर कराकर मैं बाहर निकला - देखा चिट्ठी का लिफाफा बंद नहीं था
सबसे पहले चिट्ठी देखी, उसमें लिखा था -

प्रिय रजत जी,
काफी कोशिशों के बाद भी आप मुझे अबतक पकड़ नहीं पाए
लेकिन आपके रिपोर्टर रजनीकांत ने मुझे पकड़ लिया। छोटी सी उम्र में
जिस निर्भीकता और चतुराई से ये काम करते हैं उसने मुझे प्रभावित किया है।

भैरों सिंह शेखावत

उसके बाद मैं कई बार जयपुर गया लेकिन दोबारा मिला नहीं, 5-6 महीने बाद अचानक एक दिन दिल्ली में राजस्थान हाउस के रेजिडेंट कमिश्नर का फोन आया कि- शेखावत जी की ओर से फेरी क्वीन में जाने का निमंत्रण है ...शनिवार को जाना है। पता नहीं उन दिनों खून में कितनी गरमी थी कहा भैरों सिंह जी को मेरी ओर से धन्यवाद कहिएगा लेकिन माफ कीजिएगा मैं सरकारी खर्चे पर यात्राएं और मौज मस्ती करने वाले पत्रकारों में नहीं हूं, मेरा मन नहीं करता...मुझे माफ करें
इस तरह शेखावत जी से दोबारा मिला तो नहीं लेकिन वो पहली और आखिरी मुलाकात आज भी ऐसा लगता है कि जैसे कल की ही बात हो ।
ईश्वर उस सरल, बेबाक और जिंदादिल इंसान की आत्मा को शांति दे।

- रजनीकांत मिश्र
15-05-2010