गुरुवार, 27 अक्तूबर 2016

इस दीवाली आओ हम सब मिलकर दीप जलाएं ..





इस दीवाली आओ हम सब मिलकर दीप जलाएं ..

जग में फैले अंधकार को आओ दूर भगाएं

मारकाट के तम से देखो स्याह पड़ा है नभ मंडल

दीप एक जलाकर आओ इस नफरत को आज मिटा दें

इस दीवाली आओ हम सब मिलकर दीप जलाएं ..


हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई के नामों पर फैला बहुत है अंधियारा

भाईचारे का एक दीप जलाकर इस तम को भी मार भगाएं

इस दीवाली आओ हम सब मिलकर दीप जलाएं ..


भ्रष्टाचार और लालच का दानव भी खूब फलफूल रहा

अहंकार का रावण भी तो महीने भर पहले ही फूंका था

एक बार फिर बढ़कर उसने आसमान का चूमा है

एक दीप इस अहंकार के नाम भी आज हमें जलाना है

अहंकार के रावण को इस दीवली मार गिराना है

इस दीवाली आओ हम सब मिलकर दीप जलाएं ..



कोई रटता मंदिर-मंदिर, कोई काबा काबा

फिर भी इनके मन में बैठा अंधकार ना भागा

आओ हम सब एक दीप अपने मन मंदिर में भी जलाएं

मन में बैठे महातिमिर को खुद से दूर भगाएं

इस दीवाली आओ हम सब मिलकर दीप जलाएं ..



अपने घर में घी के दीयों से उतनी खुशियां ना मिल पाएंगी

किसी गरीब के घर एक दीप जलाने से जितनी हम तक आएंगी



इस दीवाली आओ हम सब मिलकर दीप जलाएं ..